नई दिल्ली/टीम डिजिटल। कोरोना से संक्रमित होने वाले बच्चों में कोरोना का असर लंबे समय तक देखने को मिलता है। इस बारे में वॉशिंगटन के चिल्ड्रन नेशनल हॉस्पिटल (WCNH) में हुई एक रिसर्च के बाद ये दावा किया गया है।
इस नई रिसर्च के मुताबिक बच्चों की नाक और गले में कई हफ्तों तक कोरोना का वायरस रहता है इसलिए उनपर कोरोना का प्रभाव बहुत गहरा पड़ता है। हालांकि ये भी मुमकिन है कि इस दौरान कोई लक्षण न दिखाई दें।
इस बारे में सामने आई रिसर्च बताती है कि किस तरह से साइलेंट मोड में कोरोना वायरस बच्चों में अपना संक्रमण फैलाता है। एक खबर के अनुसार ये शोध कनाडा के शोधकर्ताओं ने साउथ कोरिया में किया है।
बढ़ सकता है असिम्प्टोमैटिक बच्चों का दायरा
इस शोध में ये बात भी सामने आई है कि अधिकतर बच्चे कोरोना टेस्टिंग से इसलिए छूट गए हैं क्योंकि उनमें कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दिए हैं। ऐसे लोगों को जिनमें लक्षण नहीं दिखाई देते उन्हें असिम्प्टोमैटिक कहा जाता है। इस तरह के बच्चे कोरोना फैलाने के होस्ट बन सकते हैं और कोरोना फैला सकते हैं इसलिए जरूरी है कि ऐसे बच्चों का कोरोना टेस्ट कराया जाए।
14 दिनों में लक्षण दिखाई
वहीँ, इस नई रिसर्च के अनुसार, 18 फरवरी से 31 मार्च के बीच साउथ कोरिया में 91 असिम्प्टोमटिक, प्री-सिम्प्टोमटिक और सिम्प्टोमटिक बच्चे मिले थे, जिनके कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिली थी। इनमें से 20 बच्चों में कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं दिए थे। ये एसिम्प्टोमैटिक थे।
इनमें से 91 में से 18 ऐसे बच्चे ऐसे भी मिले जिनमें शुरुआती लक्षण तो नहीं दिखे लेकिन बाद में लक्षण दिख सकते हैं यानी वो प्री-सिम्प्टोमैटिक थे। शोधकर्ताओं का इस तरह के नतीजे आने पर कहना था कि इन बच्चों के कारण समुदाय में बड़ी संख्या में आसानी से कोरोना फ़ैल सकता है। जबकि लोगों को लगता है कि बच्चे कोरोना नहीं फैला सकते लेकिन ये धारणा पूरी तरह से गलत है।