नई दिल्ली। यह बात हम सब जानते हैं कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी। आज इस घटना के तकरीबन 70 साल हो गए लेकिन गांधीजी की हत्या के बाद जिस तरह का माहौल था वह कहीं न कहीं उनके समर्थकों और चाहने वालों पर भी सवाल उठाता है। आइए बात करते हैं ऐसे कुछ बिंदुओं पर जिसका जवाब आज भी नहीं मिल सका है।
जिस समय नाथू राम गोडसे ने महात्मा गांधी पर इटैलियन रिवाल्वर से फायर किया उस समय मौके पर मौजूद चश्मदीदों से मिली जानकारी के आधार पर कुछ दिनों पहले भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी इन मसलों को उठाते हुए गांधी जी की हत्या से संबंधित केस को फिर से खोल कर जांच कराए जाने की मांग की थी।
40 मिनट तक जिंदा थे महात्मा गांधीः कहा जाता है कि गोली लगने के बाद गांधी जी की सांसे 40 मिनट तक चल रही थीं। लेकन इस दौरान उन्हें किसी भी तरह की चिकित्सा सहायता नहीं दी गई। गोली लगने के बाद उन्हें उठाकर बिड़ला मंदिर के अंदर लिटा दिया गया जबकि वहां से 8-10 किलोमीटर की दूरी पर ही वेलिंग्टन हॉस्पिटल था जिसे आज हम राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के नाम से जानते हैं। यह सवाल आज भी अनुत्तरित है कि गोली लगने के बाद भी उनका इलाज क्यों नहीं कराया गया।
आभा और मनु से नहीं ली गई गवाहीः जब नाथू राम ने गांधी जी को गोली मारी उस समय वह आभा और मनु के कंधों के सहारे ही प्रार्थना स्थल की ओर जा रहे थे। यानी गांधी जी के सबसे नजदीक ये दोनों ही थे। बावजूद इसके नाथू राम के खिलाफ चल रहे मामले में इन दोनों को न तो गवाह बनाया गया न ही गवाही के तौर पर उनसे कुछ पूछा गया।
आज तक नहीं मिला इटैलियन रिवॉल्वरः माना जाता है कि नाथू राम ने इटैलियन रिवॉल्वर से गांधी जी की हत्या की थी। लेकिन आज तक रिवॉल्वर खोजा नहीं जा तका है। इसी तरह अपने बयान में नाथू राम ने दो गोली मारने की बात की है जबकि हत्या की रिपोर्ट के अनुसार उन्हों तीन गोली लगी थी।
नहीं हुआ पोस्टमार्टमः हत्या होने के बादजूद महात्मा गांधी का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। इसके कारण कई ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब आज भी नहीं मिल सका है। सबसे पहले तो यही नहीं पता लग पाया है कि उन्हें कितनी गोली लगी।
गांधी जी की सुरक्षा का नहीं था इंतजामः 30 जनवरी से कुछ दिनों पहले भी महात्मा गांधी पर जानलेवा हमले की कोशिश की गई थी। हालांकि वह अपने आसपास किसी सुरक्षाकर्मी को नहीं रखना चाहते थे, बवजूद इसके शासन में बैठे लोगों को उनकी सुरक्षा के लिए कुछ अधिकारियों को बिड़ला मंदिर में क्यों नहीं लगाया।
चित्तपवन ब्राहम्णों का नरसंहारः महात्मा गांधी की हत्या के कुछ समय बाद ही यह बात फैला दी गई कि हत्यारा नाथू राम चित्तपावन ब्राह्मण है। इसके बाद 31 जनवरी से लेकर 3 फरवरी तक पुणे में ब्राह्मणों के खिलाफ हिंसा का जबरदस्त नंगा नाच चला। देखते ही देखते हिंसा की यह चिंगारी जंगल की आग की तरह आग चितपावन ब्राह्मणों की बहुतायत वाले इलाको में फैल गई। इनमें सांगली, कोल्हापुर, सातारा शामिल हैं जहां सैंकड़ों लोग मारे गए, हजारों घरों को आग के हवाले कर दिया गया, स्त्रियों के साथ बलात्कार हुए।