नई दिल्ली। दिल्ली में हुए दंगों की जांच को लेकर शुक्रवार को कई पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस का बचाव किया है और इसकी आलोचना करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुछ अधिकारी खुद से किसी को निर्दोष नहीं ठहरा सकते और पुलिस बल की छवि खराब करने की कोशिश नहीं कर सकते।
पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक जूलियो रिबेरियो सहित कुछ पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने जांच पर सवाल उठाया है और दिल्ली पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के एक समूह को निशाने पर लेने जबकि कुछ भाजपा नेताओं सहित अन्य लोगों के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
इसपर पलटवार करते हुए कई अन्य पूर्व अधिकारियों ने पुलिस का समर्थन किया और एक बयान में कहा कि रिबेरियो और अन्य को इस तरह की भारत विरोधी अभिव्यक्ति और सांप्रदायिक रवैये का समर्थन नहीं करना चाहिए। उन्होंने उमर खालिद और अन्य लोगों द्वारा कथित तौर पर लगाए गए कुछ विवादास्पद नारों का उल्लेख किया, जो अभी हिरासत में है।
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली पुलिस के पास ऐसे किसी भी व्यक्ति की भूमिका की जांच करने का हर अधिकार और कर्तव्य है और हिरासत में लेकर जांच, कानून की एक उचित प्रक्रिया का एक हिस्सा है। अभियुक्त के पास कानून के अंतर्गत अग्रिम जमानत या नियमित जमानत पाने का अधिकार है। इसके अलावा उनके पास एक निष्पक्ष जांच का अधिकार जहां वह खुद को निर्दोष साबित कर सकते हैं।’
दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त आर एस गुप्ता, उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी आर एन सिंह, त्रिपुरा के पूर्व डीजीपी बी एल वोहरा और केरल के पूर्व डीजीपी एस गोपीनाथ समेत 26 पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने पुलिस के समर्थन वाले बयान पर हस्ताक्षर किए हैं।