नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को भड़काने के लिए लोगों को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या अप्रवासियों को शामिल करने के लिए कहा था। पुलिस ने उसके खिलाफ दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में एक सुरक्षित गवाह को उद्धृत करते हुए यह आरोप लगाया।
चार्जशीट में आगे आरोप लगाया गया कि 2019 में खालिद और सह-अभियुक्त शरजील इमाम ने यह निर्णय लिया कि मस्जिदों को विरोध शुरू करने का केंद्र बिंदु होना चाहिए और चक्का जाम के लिए इमामों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सुरक्षित गवाहों में से एक के बयान के अनुसार, जो चार्जशीट का हिस्सा है, खालिद ने कथित तौर पर दंगों को भड़काने के लिए सीएए के विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या अप्रवासियों को लाने के लिए कहा था।
पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कहा कि भारत सरकार के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की यात्रा के दौरान राजधानी में सांप्रदायिक दंगे होने की घटना से अधिक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति कुछ नहीं हो सकती थी।
दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे।
इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।