नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैन्स) के राष्ट्रीय संरक्षक व राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डा. इंद्रेश कुमार ने चीन की साजिशों पर करारा प्रहार करते हुए कोरोना वायरस को चीन के लैब में तैयार किया गया ‘बायो हथियार‘ करार दिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के तमिलनाडु चैप्टर की तरफ से शनिवार को ‘वैश्विक महामारी और सीमा विवाद‘ विषय पर आयोजित वेबिनार में इन्द्रेश कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) चीन की ओर से सुनियोजित तरीके से बनाया गया एक ‘बायो हथियार’ है, जिसे वहां के लैब में डेवलप किया गया और पूरी दुनिया को जैविक युद्ध में झोंक दिया। पूरी दुनिया में महामारी फैलाकर चीन ने अपना
इरादा साफ कर दिया है कि वह विश्व में तबाही मचाना चाहता है। चीन ने अपने यहां स्थित जैव प्रयोगशाला में जैविक हथियार तैयार करके इसका प्रमाण भी दे दिया है। चीन का असली रूप अब दुनिया के सामने आ चुका है। चीन ने दुनिया पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए ही कोविड-19 को अपना हथियार बनाया। चीन के इस जैविक हथियार ने आज संपूर्ण मानवता के लिए संकट पैदा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने दुनिया को बहुत नुकसान किया है। इससे अमेरिका, यूरोप, लैटिन अमेरिकी देशों, एशियाई देशों में हाहाकार मचा हुआ है। करोड़ों लोग इससे संक्रमित हुए और लाखों लोगों ने अभी तक अपने प्राण गंवाए हैं। यह चीन की पूर्व नियोजित एवं गहरी साजिश है। उन्होंने कहा कि दुनिया के इतिहास पर नजर डालें तो अभी तक किसी भी देश ने इस तरह के जैव हथियार का इस्तेमाल नहीं किया और न ही इतने बड़े पैमान पर नुकसान पहुंचाया है। दुनिया के सामने
उसकी पोल खुल चुकी है, लेकिन इसके बावजूद अभी तक चीन ने अपने इस कुकृत्य के लिए माफी तक नहीं मांगी है। यह चीन की राक्षसी व अमानवीय प्रकृति की ही उपज है। इतने बड़े पैमाने पर वैश्विक संकट उत्पन्न करने के लिए चीन को सजा जरूर मिलनी चाहिए। उसने पूरी दुनिया को असहाय कर दिया।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को कोई नेचुरल वायरस नहीं है। यह एक लैब निर्मित वायरस है, इसी वजह से डाक्टर्स, मेडिकल रिसचर्स इस महमारी का अब तक कोई उपयुक्त दवा नहीं ढूंढ पाए हैं। यही कारण है कि दुनिया के समर्थ व ताकतवर देश भी अभी तक इसकी वैक्सीन नहीं बना पाए हैं। इस महामारी के बीच भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि इस वायरस से देश में संक्रमित लोगों में रिकवरी रेट बेहतर है। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में यहां काफी कम मौतें हुई हैं। साथ ही, भारत ने
इस बात को भी सुनिश्चित किया कि यहां भूख से किसी व्यक्ति की मौत न हो। इसके लिए देश भर में समुचित अनाज वितरण की व्यवस्था की गई। कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में देश की जनता ने भी भरपूर सहयोग किया। समाजसेवियों ने भी काफी योगदान दिया। ऐसे मुश्किल समय में भी भारत ने दुनिया को सहयोग दिया। मानवीय मूल्यों व मानवतावाद को ध्यान में रखकर भारत ने दुनिया के कई
देशों को दवाई व अन्य जरूरी मेडिकल संसाधन मुहैया करवाए। हमें अब नए भारत का निर्माण करना है, जो दुनिया को रास्ता दिखा सकता है।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि चीन ने शुरू से ही भारत के साथ छल किया है। चीन ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को भी धोखा दिया और भारतीय भू- भाग पर कब्जा जमाया। जबकि उस समय के भारत के कई प्रभावशाली लोगों ने पंडित नेहरू को चीन पर भरोसा नहीं करने के लिए आगाह किया था। चीन की हमेशा से विस्तारवादी नीति के तहत दूसरे देशों की जमीन पर जबरन कब्जा करने
की रही है। उसने तिब्बत में कत्लेआम कर उस पर कब्जा किया। भारत के हिमालयी क्षे़त्र पर कब्जा किया, बाद में ऑक्साई चीन को हड़प लिया। पूरे हिमालयी क्षेत्र का चीन के विस्तारवाद से मुक्त होना जरूरी है। ताइवान, तिब्बत व हांगकांग पर अपना पूर्ण नियंत्रण करने की कोशिश में है। इन देशों को वह स्वतंत्र मानने को तैयार नहीं है। इन देशों को यूनाइटेड नेशन में स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता मिलनी
चाहिए।
इतना ही नहीं, चीन मलय सागर (दक्षिण चीन सागर) को भी अपने नियंत्रण में लेने की साजिशें कर रहा है। मलय सागर समुद्र के जरिये व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र है। हालांकि, इस क्षेत्र में अब चीन को भारत की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है। भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल को भारत के खिलाफ उकसाने की कार्रवाई में लिप्त है। भारत के खिलाफ कूटनीतिक दुरुपयोग को
बढ़ावा दे रहा है।
पहले डोकलाम, बाद में गलवान घाटी में भारत की ओर से कड़े प्रतिरोध का सामना करने के बाद चीन की अकड़ ढीली पड़ी है। भारत ने उसके विस्तारवादी अभियान पर लगाम लगाया है। भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान के नापाक इरादे किसी से छिपे नहीं हैं, यह जगजाहिर है। इन दोनों देशों की सीमाएं हमसे जुड़ी हुई हैं। लद्दाख में गलवान घाटी और डोकलाम मामले में एलएसी पर पीछे हटने के बाद चीन
बौखला गया है। चीन के विस्तारवाद के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एलएसी पर उसे भारत की ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। चीन की मंशा दुनिया पर नियंत्रण स्थापित करने की है, लेकिन उसके मंसबूों को हम कामयाब नहीं होने देंगे। चीन की विस्तारवादी प्रवृत्ति दुनिया के लिए बड़ा खतरा है, जो अब किसी से छिपी हुई नहीं है।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि पिछले कुछ सालों से भारत में चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है। इसके लिए एक व्यापक जनअभियान की जरूरत है। चीन को मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी है और यह इसके लिए उचित समय है। हालांकि, भारत ने हाल में कई चीनी ऐप्स पर बैन, चीनी कंपनियों के टेंडर आदि निरस्त किए हैं। कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुई इस आर्थिक मंदी में चीन की मंशा दुनिया के बाजार पर
कब्जा करने की रही है। साथ ही, चीन दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करके सर्वेसर्वा बनने का सपना देख रहा है। उन्होंने देश की जनता से चीनी सामान का बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने इसे एक जन आंदोलन बनाने पर जोर दिया। आर्थिक तौर पर भी चीन की कमर तोड़कर उसे हराया जा सकता है।
उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर देते हुए कहा कि यही उचित समय है जब हम अपने सामान की गुणवत्ता बढ़ाकर दुनिया के बाजार में जाएं और देश को मजबूत करें। उन्होंने कहा कि दुनिया अब चीन के विस्तारवाद, राक्षसवाद के खिलाफ खड़ी हो रही है। भारत की ओर से पहल किए जाने के बाद दुनिया के देश अब हमारे साथ आ रहे हैं। दुनिया की निगाह अब भारत की ओर है। सही मायने में भारत ही चीन के खिलाफ अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
वेबिनार को संबोधित करते हुए आरसी वाजपेयी (रिटायर्ड एयर मार्शल) ने कहा कि चीन और पाकिस्तान हमारे पड़ोसी देश जरूर हैं, लेकिन वे हमेशा भारत के खिलाफ कार्रवाई में लिप्त रहे। इन देशों ने न तो अपनी चाल बदली, न ही अपना चरित्र बदला। आजादी के बाद से पाकिस्तान हमेशा भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने में जुटा रहा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की मौजूदा हालत बेहद खराब है, उसकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। वहीं, चीन की ओर से भारत पर किए गए हमले के समय भी कई
नीतिगत गलतियां हुईं, जिसका खामियाजा आज भी देश भुगत रहा है। चीन हमेशा अपरोक्ष रूप से भारत के अंदरुनी मामलों में दखल देता आया है। हालांकि अब देश में मोदी सरकार के आने के बाद कई नीतिगत बदलाव हुए, जिससे स्थितियां काफी बदली हैं। सेना का मनोबल, सेना सशक्त हुई।
इसके बाद र्व डीजीपी श्री बालाचंद्रन (आईपीएस) ने कहा कि चीन से ही पूरी दुनिया में कोरोना महामारी फैली है। चीन की गलतियों का खामियाजा दुनिया भुगत रही है। अमेरिका, ब्राजील, यूरोप, एशिया सर्वाधिक रूप से प्रभावित हुए हैं। इस महामारी के समय वैश्विक तौर पर भारत का कदम एवं योगदान काबिलेतारीफ है। भारत ने मानवतावादी होने का परिचय देते हुए इस कठिन समय में दुनिया के कई
देशों की मदद की। दवाई से लेकर अन्य जरूरी सामान कई देशों को उपलब्ध करवाए।